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इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम(Introduction to Electronic Payment System) –
इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम(Introduction to Electronic Payment System) –
ई-कॉमर्स में ख़रीदे गए goods या services के लिए पेमेंट इन्टरनेट के माध्यम से किया जाता है | इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट एक तरह का फाइनेंशियल एक्सचेंज है जो विक्रेता तथा खरीददार के बीच में ऑनलाइन स्थापित किया जाता है | इस एक्सचेंज के कन्टेन्ट सामान्यतः डिजिटल फाइनेंशियल instrument के रूप में होते है | ये फाईनेंशियल क्रेडिट कार्ड नम्बर्स, इलेक्ट्रोनिक केश इत्यादि के रूप में होते है, पारम्परिक रूप पेमेंट प्रक्रिया में खरीददार एक मर्चेंट से goods तथा services को खरीदने का निर्णय लेने के पश्चात् मर्चेंट इन goods तथा services को खरीददार के लिए ट्रांसफर करेगा तथा खरीददार cash या पेमेंट इन्फोर्मेशन जैसे- चैक, क्रेडिट कार्ड इन्फोर्मेशन इत्यादि को मर्चेंट को ट्रांसफर करेगा | कैश ट्रांजेक्शन में कैश खरीददार के अकाउंट में मर्चेंट के अकाउंट से face to face एक्सचेंज से मूव करेगा |
- खरीददार money के एक निश्चित एकाउंट को उसके एकाउंट से withdraw करता है |
- वह विक्रेता को कैश ट्रांसफर करता है |
- विक्रेता कैश को उसके अकाउंट में डिपोजिट करता है |
Non cash transaction में खरीददार पेमेंट इन्फोर्मेशन को मर्चेंट को ट्रांसफर करेगा | विक्रेता तथा खरीददार के उपर्युक्त एकाउंट्स को चेक या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से समायोजित किया जाता है |
इन्टरनेट के डेवलपमेंट के साथ, यह खरीददार तथा मर्चेंट को non-cash ट्रांजेक्शन प्रोसेस के स्थान पर ऑनलाईन ट्रांजेक्शन करने की सुविधा को उपलब्ध करने की सुविधा करता है | इस टाइप के सिस्टम (जैसे-चैक, ऑनलाईन क्रेडिट कार्ड इत्यादि) में sensitive इन्फोर्मेशन को इंटरनेट के माध्यम से ऑर्डर के साथ ऑनलाईन ट्रांसफर किया जाता है | क्योकि ट्रांजेक्शन को ऑनलाईन किया जाता है अतः मर्चेंट तथा खरीददार के बीच में भिन्न-भिन्न बैंको के प्रयोग करने की सम्भावना बढ़ जाती है | इसलिए मर्चेंट तथा खरीददार के बैंको के बीच में payment clearing services को समायोजित किया जाता है | जब हम ई-कोमर्स ट्रांजेक्शन का प्रयोग करते है तो face to face इंटरेक्शन कम हो जाता है जो sensitive इन्फोर्मेशन तथा identify की सुरक्षा के बारे में कुछ समस्याए खड़ी करते है | इसके समाधान हेतु हमें एक intermediary part जैसे- paypal, google checkout इत्यादि की जरुरत होती है जो सिक्योरिटी, identification, पेमेंट सपोर्ट को उपलब्ध करता है | इस प्रक्रिया में खरीददार को अपनी sensitive इन्फोर्मेशन को मर्चेंट को ट्रांसफर करने की जरुरत नही होती है लेकिन intermediary मर्चेंट को खरीददार के identification को कनफर्म करेगा | जब खरीददार विक्रेता से goods या services खरीदता है तो वह इनकी कीमत के अनुसार विक्रेता को पेमेंट करता है |
सामान्यत: goods या services के पेमेंट करने के तरीके निम्नलिखित होते है –
- Pre-paid
- Pay-now
- Pay-later
- On-line
- Off-line
Pre-paid:- इस श्रेणी में कस्टमर ट्रांजेक्शन को पूरा होने से पहले payment करता है जैसे- Electronic tokens इत्यादि |
Pay-now: – इस श्रेणी में कस्टमर के अकाउंट को चेक किया जाता है तथा ट्रांजेक्शन के समय ही पेमेंट को इस श्रेणी का उदाहरण है |
Pay-later: – इस श्रेणी के ट्रांजेक्शन के पूर्ण हो जाने के पश्चात् पेमेंट करता ही | जैसे- क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन इस श्रेणी का उदाहरण है |
On-line:- इस श्रेणी के ट्रांजेक्शन में third party (bark) सम्मिलित होती है |
Off-line:- इस श्रेणी के ट्रांजेक्शन में बैंक या फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशन वास्विक रूप से सम्मलित नही होते है | हालांकि pre-paid तथा pay-now विस्तृत पेमेंट इन्फोर्मेशन को उपलब्ध नही कराते है | इसलिए हम अपनी प्रजेंटेशन के प्रारूप के आधार पर criteria को चुनते है | अतः पेमेंट को सिस्टम को समूहों में विभाजित किया गया है |
- इलेक्ट्रोनिक कैश सिस्टम
- क्रेडिट- डेबिट कार्ड सिस्टम
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