ई–गवर्नेंस क्या हैं?
इ गवर्नेंस का मतलब सभी सरकारी कार्यों को ऑनलाइन सर्विस के माध्यम से जनता तक आसानी से पहुंचाना| जिससे सरकारी कार्योलयों और जनता दोनों के पैसे और समय की बचत हो सके, और बार बार आपको विभिन्न दफ्तरों के चक्कर न लगाना पड़े| सीधे शब्दों में कहें तो इ गवर्नेंस के तहत सभी सरकारी कामकाजों को ऑनलाइन कर दिया गया है जिससे जनता घर बैठे विभिन्न कार्यों के लिए ऑनलाइन ही अप्लाई कर सके|
सरकार की आम नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराना ई-गवर्नेंस या ई-शासन कहलाता है। इसके अंतर्गत शासकीय सेवाएँ और सूचनाएँ ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं। भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक विभाग की स्थापना 1970 में की और 1977 में नेशनल इंफ़ॉर्मेटिक्स सेंटर की स्थापना ई-शासन की दिशा में पहला कदम था।
आज भारत सरकार और लगभग सभी प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों की सरकारें आम जनता के लिए अपनी सुविधाएँ इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध करा रही हैं। विद्यालय में दाखिला हो, बिल भरना हो या आय–जाति का प्रमाणपत्र बनावाना हो, सभी मूलभूत सुविधाएँ हिन्दी में उपलब्ध हैं। इस दिशा में अभी शुरुआत ही हुई है तथा माना जा रहा है कि आने वाले समय में सभी मूलभूत सरकारी सुविधाएँ कंप्यूटर तथा मोबाइल के माध्यम से मिलने लगेंगी जिससे समय, धन तथा श्रम की बचत होगी तथा देश के विकास में योगदान मिलेगा।
इ-गवर्नेंस के अंतर्गत आने वाले कार्य
- आप ऑनलाइन बैंकिंग के जरिये सभी बेकिंग सेवाओ का लाभ उठा सकते हैं|
- GST से सम्बंधित सभी कार्य ऑनलाइन ही कर सकते हैं|
- बिजली, पानी, टेलीफोन, मोबाइल, DTH इत्यादि के बिल ऑनलाइन भरे जा सकते हैं|
- PAN कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट, जाती प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र का सत्यापन|
- आयकर रिटर्न फाइलिंग के सभी कार्य ऑनलाइन किये जा सकते हैं|
- ट्रेन, बस और हवाई जहाज की टिकट ऑनलाइन बुक कर सकते हैं|
Types of E-governance
E-governance 4 प्रकार की होती है और चारो की एक अलग प्रणाली तथा कार्य श्रंखला होती है| जिसके तहत वह कार्य करती है, इसमे एक पूरा System बना होता है, जो उदेश्य प्राप्ति के लिए मदद करता है| इसके प्रकार कुछ इस प्रकार है:-
1. G2G (Government to Government):- जी 2 जी यानी सरकार से सरकार, जब सूचना और सेवाओं का आदान-प्रदान सरकार की परिधि में होता है, इसे जी 2 जी इंटरैक्शन कहा जाता है| यह विभिन्न सरकारी संस्थाओं और राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारी संस्थाओं के बीच और इकाई के विभिन्न स्तरों के बीच कार्य करता है।
2. G2C (Government to Citizen):- जी 2 सी यानी सरकार से नागरिक, यह सरकार और आम जनता के बीच बातचीत को जी 2 सी कहते है। यहां एक प्रकिया सरकार और नागरिकों के बीच स्थापित कि गई है, जिससे नागरिक विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच सकते हैं। नागरिकों को किसी भी समय, कहीं भी सरकारी नीतियों पर अपने विचारों और शिकायतों को साझा करने की स्वतंत्रता है।
3. G2B (Government to Business):- जी 2 बी यानी सरकार से व्यवसाय, इसमे ई-गवर्नेंस बिजनेस क्लास को सरकार के साथ सहज तरीके से बातचीत करने में मदद करता है। इसका उद्देश्य व्यापार के माहौल में और सरकार के साथ बातचीत करते समय पारदर्शिता स्थापित करना है।
4. G2E (Government to Employees):- जी 2 ई यानी सरकार से कर्मचारी, किसी भी देश की सरकार सबसे बड़ी नियोक्ता है और इसलिए वह नियमित आधार पर कर्मचारियों के साथ काम करती है, यह सरकार और कर्मचारियों के बीच कुशलता और तेजी से संपर्क बनाने में मदद करता है, साथ ही उनके लाभों को बढ़ाकर उनके संतुष्टि स्तर तक पहुँचाने में मदद करता है|
ई-गवर्नेंस के चरण
विभिन्न शोध अध्ययनों में यह स्पष्ट है कि ई-गवर्नेंस मौलिक रूप से कंप्यूटर प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर और संचार प्रणालियों की नेटवर्किंग के विकास से जुड़ा हुआ है। भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत चार चरणों से हुई
- कम्प्यूटरीकरण (Computerization): पहले चरण में, व्यक्तिगत कंप्यूटर की उपलब्धता के साथ सभी सरकारी कार्यालय में पर्सनल कंप्यूटर स्थापित किये गए| कंप्यूटर का उपयोग वर्ड प्रोसेसिंग के साथ शुरू हुआ, इसके बाद डेटा प्रोसेसिंग में तेजी आई।
- नेटवर्किंग: इस चरण में, कुछ सरकारी संगठनों की कुछ इकाइयाँ को विभिन्न सरकारी संस्थाओं के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान और डेटा के प्रवाह के लिए एक हब के माध्यम से जोड़ा गया।
- ऑन-लाइन उपस्थिति (On-line presence): तीसरे चरण में, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ, वेब पर उपस्थिति बनाए रखने के लिए एक आवश्यकता महसूस की गई। इसके परिणामस्वरूप सरकारी विभागों और अन्य संस्थाओं द्वारा वेबसाइटों का रखरखाव किया गया। आम तौर पर, इन वेब-पृष्ठों / वेब-साइटों में संगठनात्मक संरचना, संपर्क विवरण, रिपोर्ट और प्रकाशन, संबंधित सरकारी संस्थाओं के उद्देश्य और दृष्टि विवरण के बारे में जानकारी होती थी।
- ऑनलाइन अन्तरक्रियाशीलता (Online interactivity): ऑन-लाइन उपस्थिति का एक स्वाभाविक महत्व सरकारी संस्थाओं और नागरिकों, नागरिक समाज संगठनों आदि के बीच संचार चैनलों का खोला जाना था। इस चरण का मुख्य उद्देश्य डाउनलोड करने योग्य फॉर्म प्रदान करके सरकारी संस्थाओं के साथ व्यक्तिगत इंटरफ़ेस के दायरे को कम करना था।
इसलिए ई-गवर्नेंस भारत के लिए एक उत्कृष्ट अवसर देता है ताकि शासन की गुणवत्ता में मौलिक सुधार हो सके और इस तरह
- न केवल सेवा वितरण के लिए बल्कि नीतियों और सरकार के प्रदर्शन पर नागरिकों की राय प्राप्त करने के लिए सरकार और नागरिकों के बीच दो-तरफ़ा संचार की अनुमति दें।
- बहिष्कृत समूहों तक अधिक पहुंच प्रदान करें, जिनके पास सरकार के साथ बातचीत करने और इसकी सेवाओं और योजनाओं से लाभ उठाने के कुछ अवसर हैं।
- समाज के सभी वर्गों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करें।
- आबादी के ग्रामीण और पारंपरिक रूप से हाशिए के क्षेत्रों को सक्षम करने के लिए अपने स्वयं के पड़ोस में सेवाओं के लिए तेजी से और सुविधाजनक पहुंच प्राप्त करें।
ई-गवर्नेंस के लाभ
- ई-गवर्नेंस शासन में सुधार है जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के संसाधन उपयोग द्वारा सक्षम है।
- ई-गवर्नेंस सभी नागरिकों के लिए सूचना और उत्क्रिस्ट सेवाओं की बेहतर पहुंच बनाता है।
- यह सरकार में सरलता, दक्षता और जवाबदेही भी लाता है।
- आईसीटी के उपयोग के माध्यम से शासन को व्यापक व्यापार प्रक्रिया के साथ संयुक्त रूप से पुनर्व्यवस्थित करने से जटिल प्रक्रियाओं का सरलीकरण, संरचनाओं में सरलीकरण और विधियों और नियमों में बदलाव होगा।
- ई गवर्नेंस नागरिकों और सरकार के लिए लाभप्रद है क्योंकि संचार प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास हो रहा है और शासन में इसे अपनाने से सरकारी मशीनरी को नागरिकों के घर-द्वार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
डेमोक्रेसी क्या हैं?
‘लोकतंत्र’ शब्द का अंग्रेजी पर्याय ‘डेमोक्रेसी’ (Democracy) है, जिसकी उत्पत्ति ग्रीक मूल शब्द ‘डेमोस’ से हुई है | डेमोस का अर्थ होता है – ‘जन साधारण’ और इस शब्द में ‘क्रेसी’ शब्द जोड़ा गया है, जिसका अर्थ ‘शासन’ होता है | इसप्रकार ‘डेमोस+क्रेसी’ से ‘डेमोक्रेसी’ शब्द की रचना हुई है | जैसा कि उत्पत्ति के आधार से ही स्पष्ट हो जाता है कि ‘डेमोक्रेसी’ शब्द का अर्थ होता है ‘जनता का शासन’ |
लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ “लोगों का शासन”, संस्कृत में लोक, “जनता” तथा तंत्र, “शासन”,) या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है।
E-Democracy क्या हैं?
ई-डेमोक्रेसी (इलेक्ट्रॉनिक और लोकतंत्र शब्द का एक संयोजन), जिसे डिजिटल लोकतंत्र या इंटरनेट लोकतंत्र के रूप में भी जाना जाता है, लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए 21 वीं सदी की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को शामिल करता है। यह सरकार का एक रूप है जिसमें सभी वयस्क नागरिकों को प्रस्ताव, विकास और कानूनों के निर्माण में समान रूप से भाग लेने के लिए पात्र माना जाता है। ई-लोकतंत्र सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को समाहित करता है|
E-Democracy की आवश्यकताएँ
ई-डेमोक्रेसी सामाजिक निर्माण में सभी वयस्क नागरिकों की भागीदारी से ही संभव हो पाया है, विभिन्न साइटों और विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी इंटरनेट साइटों, समूहों और सामाजिक नेटवर्क की एक विस्तृत विविधता के माध्यम से सामाजिक समावेश की एक संरचना भी प्रदान की जाती है। व्यक्तिगत रूप से और तेजी से व्यक्तिगत राय व्यक्त करने की क्षमता के माध्यम से व्यक्ति की जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता को पूरा किया जाता है।
- इंटरनेट का उपयोग – ई-लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सक्रिय प्रतिभागियों और इलेक्ट्रॉनिक समुदायों में भाग नहीं लेने वालों के बीच डिजिटल विभाजन से बाधित किया जाता है।
- सुरक्षा और गोपनीयता की सुरक्षा – सरकार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि ऑनलाइन संचार सुरक्षित हो और वे लोगों की गोपनीयता का उल्लंघन नहीं करते हों| किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पर यह और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है|
- सरकारी जवाबदेही – ऑनलाइन परामर्श और चर्चाओं में शामिल होने के लिए लोगों को आकर्षित करने के लिए, सरकार को लोगों को जवाब देना चाहिए और सक्रिय रूप से प्रदर्शित करना चाहिए कि सभी नागरिकों और नीतिगत परिणाम के बीच एक संबंध है।
एमपी ऑनलाइन सर्विसेज (MP Online Services)
एमपी ऑनलाइन सरकारी सेवाओं को नागरिकों तक प्रभावी रूप से पहुंचाने का एक सरल और सुरक्षित तरीका है| एमपी ऑनलाइन मध्य प्रदेश सरकार की ई गवर्नेंस की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों की सेवाओं को सीधे आम नागरिकों को घर बैठे उपलब्ध कराना है| एमपी ऑनलाइन लिमिटेड मध्य प्रदेश सरकार एवं टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (TCS) लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है| विभिन्न सरकारी विभागों की सेवाओं को नागरिकों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने जुलाई 2006 में एमपी ऑनलाइन लिमिटेड पोर्टल का गठन किया था तब से मध्य प्रदेश सरकार प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सेवाएं ऑनलाइन प्रदान कर रही है|
एमपी ऑनलाइन एक सिटीजन सर्विस पोर्टल है जो मध्य प्रदेश राज्य में पब्लिक सर्विस मैं सुधार करने के लिए सूचना तथा कम्युनिकेशन तकनीक का उपयोग करता है| पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों तथा बिजनेस की आवश्यकताओं को समय पर पूरा करना है| नागरिक केवल एक क्लिक के माध्यम से विभिन्न प्रकार की सेवाओं को एक्सेस कर सकते हैं, एमपी ऑनलाइन पोर्टल पर उपस्थित ऑनलाइन सेवाओं को नागरिकों तक प्रभावी रूप से पहुंचाने का सरल उपाय कियोस्क है| सामान्यतः कियोस्क शहरी क्षेत्र में स्थित दुकान, ऑफिस, इंटरनेट कैफे ही होता है जो एमपी ऑनलाइन लिमिटेड के साथ नागरिकों को ऑनलाइन सेवाएं प्रदान कराने के लिए एक अनुबंध के तहत अधिकृत किया जाता है| कियोस्क आवंटन के लिए इस प्रकार के व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी बंधु नियमानुसार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं| नागरिकों को ऑनलाइन सेवा प्रदान कराने पर कियोस्क संचालक को प्रत्येक ऑनलाइन सेवा के लिए निर्धारित सेवा शुल्क प्रदान किया जाता है| इस सेवा शुल्क का निर्धारण सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी, मध्य प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित सेवा शुल्क निर्धारण समिति द्वारा किया जाता है|
एमपी ऑनलाइन मध्य प्रदेश के सभी 51 जिलों की 350 से भी अधिक तहसीलों में 28 हजार से अधिक सेवाएं कियोस्क/CSC के माध्यम से ऑनलाइन प्रदान कर रहा है| एमपी ऑनलाइन विभिन्न सरकारी सेवाओं जैसे मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के लिए प्रवेश प्रक्रिया, धार्मिक स्थानों के लिए दान, मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय पार्कों में भ्रमण हेतु ऑनलाइन टिकट बुकिंग, बिल भुगतान सुविधा, विभिन्न सरकारी विभागों में भर्ती हेतु आवेदन एवं ऑनलाइन परीक्षा प्रक्रिया सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु ऑनलाइन काउंसलिंग जैसी सेवाएं प्रदान कर रहा है|
UIDAI तथा आधार
Unique Identification Authority of India (UIDAI) नई दिल्ली में एक सरकारी एजेंसी है जो Aadhaar unique identification numbers (UIDs) और कार्ड के लिए जारी करने वाले प्राधिकरण के रूप में कार्य करती है। सरकार द्वारा आधार कार्ड जारी करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास, पहचान और स्थापना के लिए एजेंसी को अनिवार्य किया गया है।
UIDAI को 2009 में स्थापित किया गया था जो भारत के योजना आयोग के हिस्से के रूप में कार्य करता है। एजेंसी, राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं और विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी संस्थाओं से बनी कई रजिस्ट्रार एजेंसियों की मदद से कार्ड जारी करती है।
UIDAI भारत के रजिस्ट्रार जनरल के परामर्श से काम करता है, जो भारत में जनगणना के आंकड़ों के लिए जिम्मेदार है। एजेंसी का नेतृत्व इंफोसिस लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष और सह-संस्थापक, नंदन नीलेकणी के पास है, जिनके पास कैबिनेट मंत्री का दर्जा है।
UIDAI की स्थापना भारत के सभी निवासियों को “आधार” नाम से एक विशिष्ट पहचान संख्या (UID) प्रदान करने के लिए की गई थी ताकि इसके द्वारा फर्जी पहचान समाप्त की जा सके और उसे आसानी से किफायती लागत में सत्यापित तथा प्रमाणित किया जा सके| आधार अधिनियम 2016 के तहत UIDAI आधार नामांकन और प्रमाणीकरण, आधार लाइफ साइकिल के मैनेजमेंट और संचालन, सभी व्यक्तियों को आधार नंबर जारी करने और प्रमाणीकरण करने के लिए नीति, प्रक्रिया और प्रणाली विकसित करने के लिए और नागरिकों की पहचान, जानकारी तथा प्रमाणीकरण रिकॉर्ड की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है|
आधार प्रत्येक भारतीय नागरिक को भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला 12 डिजिट का यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर है| आधार कार्ड UIDAI द्वारा जारी किया जाने वाला डॉक्यूमेंट है, जो प्रत्येक भारतीय नागरिक के विवरण (बायोमेट्रिक तथा डेमोग्राफिक डाटा सहित) को रिकॉर्ड तथा प्रमाणित करता है| सबसे पहला UID नंबर महाराष्ट्र के निवासी नंदुरबार को 29 सितंबर 2010 को जारी किया गया था| प्राधिकरण द्वारा अब तक 120 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिकों को आधार नंबर प्रदान किए जा चुके हैं|
UIDAI द्वारा जारी किया गया आधार नंबर नागरिक की मूल डेमोग्राफिक तथा बायोमेट्रिक सूचना जैसे फोटोग्राफिक, 10 फिंगर प्रिंट तथा दो iris स्कैन से जुड़ा हुआ है तथा नागरिक की यह सभी जानकारी केंद्रीय डेटाबेस में स्टोर होती हैं|
आधार के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-
- आधार के आधार पर सीधे लाभ को ट्रांसफर करना (LPG Subsidy)
- जन धन योजना का लाभ
- 10 दिन में पासपोर्ट प्राप्त करना
- वोटर कार्ड से लिंक
- मासिक पेंशन हेतु
- नया बैंक अकाउंट खोलने हेतु
- सरकारी सरवर पर सभी व्यक्तिगत डाक्यूमेंट्स स्टोर करने हेतु डिजिटल लॉकर की व्यवस्था
- स्टॉक मार्केट में निवेश करने हेतु एड्रेस तथा पहचान पत्र की तरह प्रयोग करना
- आईआरसीटीसी वेबसाइट से अपने आधार कार्ड को जोड़कर आप 1 महीने में 12 टिकट बुक कर सकते हैं|
UMANG App
डिजिटल इंडिया के कदम को आगे बढ़ाने के लिए एक और पहल करते हुए, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने साइबरस्पेस पर वैश्विक सम्मेलन के 5 वें संस्करण में भारत के नागरिकों के लिए एक नया एप्लीकेशन लॉन्च किया हैं। इस एप्प का नाम उमंग है यह शब्द नए युग के शासन के लिए यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन के लिए है और इसे ई-गवर्नेंस बनाने की परिकल्पना की गई है। जो सभी एंड्रॉइड, आईओएस, विंडोज डिवाइस उपयोगकर्ताओं और फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। यह एक एप्लीकेशन है जो एक एक ही जगह पर 100 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की सेवाएं प्रदान करता है। इस ऑल-इन-वन ऐप का उपयोग करके आप केवल माउस क्लिक द्वारा सभी सरकारी संबंधित सेवाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। यूजर्स 12 अलग-अलग भाषाओं में ऐप को एक्सेस कर कर सकते हैं।
इस एप्लिकेशन को भारत में मोबाइल गवर्नेंस को चलाने और भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) द्वारा विकसित किया गया है।
इस एप्लिकेशन को लॉन्च करने का मुख्य लक्ष्य भारत के नागरिकों को ऑनलाइन कुछ भी करने की अनुमति देना है, बस एक क्लिक पर – यह पासपोर्ट, आधार या पैन कार्ड बनाना, गैस सिलेंडर बुक करना, अपने भविष्य निधि खाते के बारे में जानना या आधार से संबंधित समाधान करना करता हैं|
यह कैसे काम करता है और यह क्या सेवाएं प्रदान करता है?
उमंग ऐप सभी पैन इंडिया ई-गवर्नेंस सेवाओं को केंद्रीय से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों और अन्य नागरिक-केंद्रित सेवाओं जैसे – आधार और डिजीलॉकर को एक मोबाइल ऐप पर प्रदान करता है। वर्तमान में, उमंग ऐप 12 श्रेणियों में सेवाएं प्रदान करता है जिसमें शामिल हैं – कृषि, शिक्षा, रोजगार और कौशल, ऊर्जा, वित्त, स्वास्थ्य, आवास, पुलिस, लोक शिकायत, राजस्व, परिवहन और उपयोगिता। हालांकि, आगामी दिनों में, ऐप विभिन्न अन्य सेवाओं जैसे कि PayGov और अधिक के साथ एकीकरण प्रदान करेगा।
इस ऐप में, एक ‘Service’ विकल्प है। आप किसी भी सरकार से संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने के लिए बस विकल्प पर क्लिक कर सकते हैं। इसके लिए आपको श्रेणी का चयन करने की आवश्यकता है फिर Service type का चयन करें – जिसका अर्थ है कि क्या आपको केंद्रीय या क्षेत्रीय सेवा की आवश्यकता है, वह नाम लिखें जो आपके पास है, और फिर वर्णानुक्रम के आधार पर परिणाम को क्रमबद्ध करने के लिए आगे बढ़ें, टॉप रेटेड, या नया जोड़े। जिसके बाद, उमंग आपकी श्रेणी के चयन के आधार पर सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्रदर्शित करेगी।
उमंग ऐप अकाउंट कैसे बनाएं और इसका उपयोग कैसे करें?
एंड्रॉइड फोन पर उमंग ऐप डाउनलोड करने के लिए, Google Play Store पर जाएं और Umang टाइप करें। इसके बाद Install पर क्लिक करें और ऐप डाउनलोड होने की प्रतीक्षा करें। Apple उपयोगकर्ताओं के लिए, ऐप को ऐप्पल ऐप स्टोर से इंस्टॉल किया जा सकता है। नोट: यदि आप एप्लिकेशन को सर्च नहीं कर पाते हैं, तो आप अपने नंबर पर टेक्स्ट मैसेज के रूप में ऐप डाउनलोड लिंक पाने के लिए 97183-97183 या एसएमएस पर मिस्ड कॉल भी दे सकते हैं।
- Google Play Store या Apple ऐप स्टोर से उमंग ऐप डाउनलोड करें
- ऐप को खोलें और उमंग ऐप के साथ एक अकाउंट बनाने के लिए नाम, उम्र, लिंग, फोन नंबर और आधार विवरण आदि जानकारी दर्ज करें। आप बाद में जानकारी में सुधार भी कर सकते हैं।
- आप अपने आधार नंबर को ऐप और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट से भी लिंक कर सकते हैं|
- उमंग अकाउंट बनाने के बाद, ऐप का उपयोग करने के लिए Service Section पर जाएं और सेवाओं और श्रेणियों के माध्यम से ब्राउज़ करने के लिए Filter सॉर्ट एंड फ़िल्टर अनुभाग पर जा सकते हैं|
- विशेष सेवाओं की तलाश के लिए सर्च विकल्प पर जाएं|
उमंग पर उपलब्ध सेवाएं
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सेवाएं: उमंग ऐप उपयोगकर्ताओं को कर्मचारी केंद्रित सेवाओं और सामान्य सेवाओं जैसे EPFO सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति देता है। उपयोगकर्ता दावे करने और अपनी स्थिति को ट्रैक करने में सक्षम होंगे।
एलपीजी सेवाएं: उमंग ऐप का इस्तेमाल ऑनलाइन सिलेंडर बुक करने, रिफिल मांगने, सब्सिडी, सरेंडर कनेक्शन, मैकेनिक सेवाओं के लिए पूछने आदि के लिए किया जा सकता है। सेवाओं का लाभ भारत गैस, एचपी गैस और इंडेन गैस पर लिया जा सकता है।
कर भुगतान: उमंग ऐप के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह उपयोगकर्ताओं को आयकर की ओर भुगतान करने की भी अनुमति देता है।
पासपोर्ट सेवा: ग्राहक उमंग ऐप का उपयोग विभिन्न पासपोर्ट सेवा से संबंधित सेवाओं जैसे केंद्र का पता लगाने, शुल्क भुगतान की गणना, पासपोर्ट आवेदन की स्थिति पर नज़र रखने और नियुक्ति उपलब्धता की जांच करने के लिए कर सकते हैं।
पेंशन: सभी पेंशनभोगी पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। ऐप पर पेंशन पोर्टल के माध्यम से सभी सुविधाएं जैसे पेंशन आवेदन प्रक्रिया, शिकायत, और सेवानिवृत्ति के अन्य लाभों का लाभ उठाया जा सकता है।
ePathshala: यह भारत सरकार और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCRT) की एक पहल है। छात्रों के पास ई-पुस्तकें, शैक्षिक ऑडियो, और वीडियो, समय-समय पर, सीखने के परिणाम आदि होंगे। इस सेवा का उपयोग शिक्षकों द्वारा शैक्षिक सामग्री और शिक्षण निर्देशों तक पहुँच प्राप्त करने के लिए भी किया जा सकता है। माता-पिता भी उसी के लिए पोर्टल का उपयोग कर सकते हैं।
CBSE: छात्र अपने परिणामों की जांच करने और परीक्षा केंद्रों का पता लगाने के लिए इस ई-गवर्नेंस ऐप का उपयोग कर सकते हैं। एक बटन के क्लिक पर उमंग ऐप का उपयोग करके 10 वीं / 12 वीं, CTET, NET और JEE परीक्षा के परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
e-Dhara Land Records: गुजरात के उपयोगकर्ता जिला तालुका और गांवों के संबंध में उमंग ऐप का उपयोग करके अपने भूमि रिकॉर्ड की जांच कर कर सकते हैं।
डिजी सेवा: ऐप उपयोगकर्ताओं को नौकरियों के लिए आवेदन करने और इस मंच का उपयोग करने के लिए एक ही उद्देश्य के लिए अपनी प्रोफाइल बनाने की अनुमति देता है। उपयोगकर्ता सरकारी संगठनों द्वारा पोस्ट किए गए सभी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
फसल बीमा: सभी किसान इस टूल का उपयोग बीमा प्रीमियम की गणना करने के लिए कर सकते हैं।
फार्मा साही डैम: यह एप्लिकेशन उपयोगकर्ता को दवाओं के लिए search tool का उपयोग करके कीमतों की तलाश करने की अनुमति देता है।
ड्राइविंग लाइसेंस: वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्रों पर एक नज़र डालने और उसे डाउनलोड करने के लिए भी उपयोगकर्ता Parivahan Sewa -Sarathi और Vahan का उपयोग कर सकेंगे।
डिजिटल लॉकर
भारत सरकार ने 1 जुलाई 2015 को नागरिकों को पैन कार्ड, पासपोर्ट, मार्कशीट और डिग्री प्रमाणपत्र जैसे अपने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को डिजिटल रूप से संग्रहीत करने में मदद करने के लिए डिजिटल लॉकर सुविधा शुरू की। यदि आप आधार नंबर से जुड़े हैं तो आप दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं, आरसी कॉपी जैसे जारी किए गए दस्तावेज़ प्राप्त कर सकते हैं। यह सुविधा पाने के लिए बस आपके पास आधार कार्ड होना चाहिए। आधार कार्ड का नंबर डालकर आप डिजीटल लॉकर अकाउंट खोल सकते हैं।
इस सर्विस की सबसे खास बात यह है कि आप कहीं भी कही भी अपने दस्तावेज को डिजिटल लॉकर द्वारा उपयोग कर सकते हैं अब आपको बार-बार कागजों का प्रयोग नहीं करना होगा। डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (डीईआईटीवाई) ने हाल ही में डिजिटल लॉकर का बीटा वर्जन लॉन्च किया है।
डिजिटल लॉकर या डिजीलॉकर भारत सरकार का एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट है जहाँ आप अपने दस्तावेज़ जैसे पैन कार्ड, पासपोर्ट, मार्कशीट और डिग्री प्रमाणपत्र मुफ्त में अपलोड और स्टोर कर सकते हैं। आपको अपने सभी दस्तावेज़ों के लिए 1GB स्थान मुफ्त में दिया जाता है। मूल रूप से यह एक भौतिक लॉकर की तरह है जहां आप अपने आभूषण और दस्तावेजों को संग्रहीत करते हैं लेकिन यह लॉकर डिजिटल है और डिजिटल जानकारी संग्रहीत करेगा। यह eLocker आपको हर जगह भौतिक दस्तावेजों को ले जाने से मुक्त करता है।
क्या डिजिटल लॉकर सुरक्षित है? डिजिटल लॉकर उसी सुरक्षा का उपयोग करता है जिसका उपयोग सभी बैंक इंटरनेट बैंकिंग के लिए करते हैं। वे आपको ओटीपी, वन-टाइम पासवर्ड भेजने के लिए आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर और ईमेल पते का उपयोग करते हैं। यह एकमात्र तरीका है जिससे आप डिजिटल लॉकर तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।
DigiLocker के लिए साइन अप करना आसान है – आपको बस अपना मोबाइल नंबर चाहिए।आपका मोबाइल नंबर एक OTP (वन-टाइम पासवर्ड) भेजकर प्रमाणित किया जाएगा, जिसके बाद उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड का चयन करेंगा। इससे आपका DigiLocker अकाउंट बन जाएगा।आपका DigiLocker खाता सफलतापूर्वक बनने के बाद, आप अतिरिक्त सेवाओं का लाभ उठाने के लिए स्वेच्छा से अपना आधार नंबर (UIDAI द्वारा जारी किया गया) प्रदान कर सकते हैं।
Uses of Digital Locker (डिजिटल लॉकर के उपयोग)
- नागरिक अपने डिजिटल दस्तावेजों को कभी भी, कहीं भी ऑनलाइन शेयर कर सकते हैं। यह सुविधाजनक होता हैं और समय की बचत भी करता है।
- यह कागज के उपयोग को कम करके सरकारी विभागों के प्रशासनिक भार को कम करता है।
- डिजिटल लॉकर दस्तावेजों की प्रामाणिकता को मान्य करना आसान बनाता है क्योंकि वे सीधे जारी किए गए जारीकर्ताओं द्वारा जारी किए जाते हैं।
- स्व-अपलोड किए गए दस्तावेज़ों को डिजिटल रूप से eSign सुविधा (जो कि स्व-सत्यापन की प्रक्रिया के समान है) का उपयोग करके हस्ताक्षरित किया जा सकता है।
DigiLocker प्रणाली में प्रमुख हितधारक निम्नलिखित हैं:
जारीकर्ता (Issuer): एक मानक प्रारूप में व्यक्तियों को ई-दस्तावेज जारी करने और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराने के लिए इकाई। CBSE, रजिस्ट्रार ऑफिस, आयकर विभाग इत्यादि।
अनुरोधकर्ता (Requester): रिपॉजिटरी (जैसे विश्वविद्यालय, पासपोर्ट कार्यालय, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय, इत्यादि) में संग्रहीत किसी विशेष ई-दस्तावेज़ के लिए सुरक्षित पहुँच का अनुरोध करना।
निवासी (Resident): एक व्यक्ति जो आधार संख्या के आधार पर डिजिटल लॉकर सेवा का उपयोग करता है।
डिजिटल लॉकर अकाउंट कैसे बनाये (How to Create Digital Locker Account)
आप भी अगर लॉकर खोलना चाहते हैं तो यह बहुत आसान है-
- सबसे पहले आपको http://digitallocker.gov.in/ लागइन करना होगा|
- उसके बाद आपको आईडी बनानी होगी।
- उसके बाद आप आपने आधार कार्ड नंबर लॉग इन कर दीजिये।
- फिर आपसे जुड़े कुछ सवाल आपसे पूछे जायेंगे जिसके बाद आपका अकाउंट बन जायेगा और उसके बाद आप उसमें सारे निजी दस्तावेज डाउनलोड कर दीजिये, जो हमेशा के लिए उसमें लोड हो जायेगा।
- आपका लाग इन आईडी और पासवर्ड आपका अपना होगा जिसे आप कहीं भी खोल सकते हैं।
डिजिटल लॉकर से फायदा (Benefits of Digital Locker)
- डिजिटल लॉकर का उपयोग करने से धोखाधड़ी नहीं हो सकती है
- इसमें नकली दस्तावेजों से बचा जा सकता है|
- यह पूरी तरह से साफ़ और स्वस्छ प्रोसेस है।
डिजिटल लाइब्रेरी क्या हैं? (What is Digital Library?)
डिजिटल लाइब्रेरी एक पुस्तकालय है जिसमें डाटा डिजिटल स्वरूपों (जैसे कि प्रिंट, माइक्रोफ़ॉर्म, या अन्य मीडिया के विपरीत) में स्टोर होता हैं और कंप्यूटर द्वारा एक्सेस किया जा सकता हैं। कंटेंट को स्थानीय रूप से स्टोर किया जा सकता है, या दूरस्थ रूप से एक्सेस किया जा सकता है। इस शब्द को पहली बार 1994 में NSF / DARPA / NASA डिजिटल लाइब्रेरी इनिशिएटिव द्वारा लोकप्रिय किया गया था।
आपको पता ही होगा की हमारा देश बहुत ही तेजी से डिजिटल इंडिया बनता जा रहा हैं सरकार दिन प्रतिदिन नए नए एप्प, योजनाये, जनता के लिए सुविधाए लेकर आ रही हैं ताकि लोगो की समस्याओं को कम किया सके और समय की बचत भी हो सके| जैसे- Digital Locker, Digital Payment, Digital Signature आदि अब सरकार हमारे सामने एक और नई सर्विस लेकर आई हैं जिसका नाम हैं Digital Library|
डिजिटल लाइब्रेरी में डॉक्यूमेंट्स की सॉफ्टकॉपी को सीडी में पीडीएफ फॉर्मेट में सेव किया जाता है। इसके जरिए इंटरनेट पर मैग्जीन, आर्टिकल्स, बुक्स, पेपर्स, इमेज, साउंड फाइल्स और वीडियो आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके लिए किसी एक्सपर्ट को भी बुलाने की जरूरत नहीं है, आप इसे खुद आसानी से एक्सेस कर सकते हैं। इन पीडीएफ फाइलों का प्रिंट भी लिया जा सकता है। डिजिटल लाइब्रेरी को इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी, वर्चुअल लाइब्रेरी, हाइब्रिड लाइब्रेरी के रूप में भी जाना जाता है
एक डिजिटल लाइब्रेरी, प्रिंट या माइक्रोफ़ॉर्म जैसे मीडिया के अन्य रूपों के विपरीत, लाइब्रेरी का एक विशेष रूप है जो डिजिटल संपत्ति का एक संग्रह शामिल करता है। ऐसी डिजिटल वस्तुएं विजुअल मटेरियल, टेक्स्ट, ऑडियो या वीडियो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रूप में हो सकती हैं
डिजिटल लाइब्रेरी के फायदे (Advantages of Digital Library)
डिजिटल लाइब्रेरी एक विशेष स्थान तक ही सीमित नहीं है उपयोगकर्ता इंटरनेट का उपयोग करके अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर कहीं से भी अपनी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
- डिजिटल लाइब्रेरी के उपयोगकर्ता को फिजिकल रूप से लाइब्रेरी में जाने की आवश्यकता नहीं है, दुनिया भर के लोग इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से डिजिटल जानकारी को प्राप्त कर सकते है।
- डिजिटल लाइब्रेरी को कभी भी दिन के 24 घंटे और साल के 365 दिन एक्सेस किया जा सकता है।
- एक ही रिसोर्स का उपयोग एक ही समय में कई उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जा सकता है।
- डिजिटल लाइब्रेरी एक अधिक संरचित तरीके से बहुत समृद्ध सामग्री तक पहुंच प्रदान करती है यानी हम कैटलॉग से किसी विशेष पुस्तक तक और फिर एक विशेष अध्याय तक पहुंच सकते हैं।
- उपयोगकर्ता पूरे संग्रह के शब्द या वाक्यांश के लिए किसी भी खोज शब्द का उपयोग करने में सक्षम है।
- गुणवत्ता में किसी भी गिरावट के बिना मूल की एक सटीक कॉपी किसी भी समय बनाई जा सकती है।
- पारंपरिक लाइब्रेरी स्टोरेज स्पेस द्वारा सीमित हैं। डिजिटल लाइब्रेरी में बहुत अधिक जानकारी स्टोर करने की क्षमता होती है, क्योकि डिजिटल जानकारी के लिए उन्हें रखने के लिए बहुत कम फिजिकल स्थान की आवश्यकता होती है
- एक विशेष डिजिटल लाइब्रेरी अन्य डिजिटल लाइब्रेरी के किसी भी अन्य रिसोर्स को बहुत आसानी से लिंक प्रदान कर सकती है|
- एक डिजिटल लाइब्रेरी को बनाए रखने की लागत पारंपरिक लाइब्रेरी की तुलना में बहुत कम है। एक पारंपरिक पुस्तकालय को कर्मचारियों के लिए भुगतान करने, पुस्तक के रख-रखाव, किराए और अतिरिक्त पुस्तकों के लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती हैं। डिजिटल लाइब्रेरी इन फीसों को दूर करती है।
डिजिटल लाइब्रेरी के नुक्सान (Disadvantages of Digital Library)
- कॉपीराइट: डिजिटलीकरण कॉपी राइट कानून का उल्लंघन करता है क्योंकि एक लेखक की विचार सामग्री उसकी स्वीकृति के बिना दूसरे द्वारा स्वतंत्र रूप से हस्तांतरित की जा सकती है। इसलिए डिजिटल लाइब्रेरी के लिए एक कठिन सूचना को वितरित करने का तरीका है।
- पहुंच की गति: जैसे-जैसे अधिक से अधिक कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़े होते हैं इसकी पहुंच की गति कम होती जा रही है। यदि नई तकनीक समस्या को हल करने के लिए विकसित नहीं होगी, तो निकट भविष्य में इंटरनेट त्रुटि संदेशों से भरा होगा।
- प्रारंभिक लागत अधिक है: डिजिटल लाइब्रेरी की बुनियादी सुविधाओं की लागत यानी हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर की लागत; पट्टे पर संचार सर्किट आम तौर पर बहुत अधिक है।
- बैंड की चौड़ाई: डिजिटल लाइब्रेरी को मल्टीमीडिया रिसोर्स के हस्तांतरण के लिए उच्च बैंड की आवश्यकता होगी, लेकिन इसके अधिक उपयोग के कारण बैंड की चौड़ाई दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है|
- दक्षता: डिजिटल जानकारी की अधिक बड़ी मात्रा के साथ, एक विशिष्ट कार्य के लिए सही सामग्री ढूंढना मुश्किल हो जाता है।
- पर्यावरण: डिजिटल पुस्तकालय एक पारंपरिक पुस्तकालय के वातावरण को पुन: पेश नहीं कर सकते हैं। कई लोगों को कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़ने की सामग्री की तुलना में पढ़ने के लिए मुद्रित सामग्री पढ़ना भी आसान लगता है।
साइबर क्राइम क्या है ? (What is Cyber Crime?)
यह ऐसा कार्य है जो गैर कानूनी है, तथा जिसमें सूचना तकनीक या कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है| आधुनिक युग में बहुत से गैरकानूनी काम या अपराध करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है, जैसे चोरी धोखाधड़ी जालसाजी शरारत आदि| सूचना तकनीकी प्रगति ने अपराधिक गतिविधियों के लिए नई संभावनाएं भी बनाए हैं, इन प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए साइबर लॉ बनाया गया है| साइबर क्राइम को दो तरीकों में बांटा जा सकता है।
साइबर क्राइम के प्रकार (Types of Cyber Crime)
- किसी कंप्यूटर को निशाना बनाना –
- इस प्रकार में किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क को अवांछित तरीके से कब्जा करना|
- किसी वेबसाइट के घटक बदलना|
- किसी कंप्यूटर पर वायरस डालना आदि शामिल है।
- कंप्यूटर का प्रयोग कर अपराध करना –
- इस प्रकार के अपराधों में व्यक्ति या संस्था को कंप्यूटर का प्रयोग कर नुकसान पहुंचाया जाता है|
- इस प्रकार में किसी अनैतिक जानकारियों को लोगों तक पहुंचाना भी शामिल है|
- साइबर आतंकवाद बैंक अकाउंट से धोखाधड़ी|
- अश्लीलता आदि इस प्रकार के अपराधों में आते हैं।
भिन्न प्रकार के कार्य साइबर क्राइम के अंतर्गत आते हैं।
- Unauthorized access and hacking
- Data theft (डाटा चोरी करना)
- Identity identity theft (पहचान चुराना)
- Spreading spreading virus or worms (कंप्यूटर वायरस को फैलाना)
- Trojan attack
Unauthorized access and hacking
किसी भी कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क में बिना अनुमति के प्रवेश करने को unauthorized access यह hacking कहा जाता है। अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क में किया गया कोई भी कार्य इस अपराध की श्रेणी में आता है। जो व्यक्ति किसी नेटवर्क में अनाधिकृत तरीके से प्रवेश करता है उसे हैकर कहा जाता है। हैकर ऐसे प्रोग्राम बनाते हैं जो वांछित नेटवर्क पर आक्रमण कर सकें। इस प्रकार की कार्य साधारणता वित्तीय अपराधों में बहुताय होते हैं। जैसे
- किसी बैंक के नेटवर्क में अनाधिकृत तरीके से प्रवेश कर उनके खाताधारकों के अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे स्थानांतरित करना।
- किसी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुरा कर उसका दुरूपयोग करना आदि।
- किसी वेबसाइट के घटक अनाधिकृत तरीके से बदलने की क्रिया को web हैकिंग कहा जाता है।
भारत देश में हैकिंग क्रिया को गैरकानूनी माना जाता है तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2008 के अंतर्गत 3 साल तक सजा एवं जुर्माने का प्रावधान है।
Data theft (डाटा चोरी करना)
किसी संस्था या व्यक्ति या कंप्यूटर नेटवर्क में अधिकृत व्यक्ति के अनुमति लिए बिना उसके कंप्यूटर के डाटा को कॉपी करना उसे शेयर करना डाटा चोरी के अपराध की श्रेणी में आता है। किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति या संस्था की अनुमति के बिना डेटा कॉपी करना गैरकानूनी माना जाता है। वर्तमान में बहुत से छोटे स्टोरेज डिवाइस जैसे पेन ड्राइव मेमोरी कार्ड आसानी से उपलब्ध है, इन डिवाइस की सहायता से डाटा चुराना बहुत आसान हो गया है| इसमें आईटी एक्ट 2008 के अंतर्गत सजा का प्रावधान है।
Spreading virus or worms (कंप्यूटर वायरस को फैलाना)
जो प्रोग्राम किसी कंप्यूटर यह कंप्यूटर नेटवर्क की अनुमति के बिना कंप्यूटर में प्रवेश कर लेते हैं उन्हें कंप्यूटर वायरस की श्रेणी में डाला जाता है| साधारणता वायरस या वोर्म (Worm) प्रोग्राम का काम किसी अन्य के कंप्यूटर के डाटा को खराब करना है| इसीलिए कोई व्यक्ति या संस्था किसी ऐसे प्रोग्राम को अनावश्यक रुप से फैलाते हैं तो उन्हें इस अपराध की श्रेणी में रखा जाता है| बहुत से बड़े नेटवर्क को यदि वायरस प्रभावित करें तब बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है| उदाहरण के लिए किसी विमान सेवा के कंप्यूटर में वायरस ने डाटा को बदल दिया है तब कोई प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है| यद्यपि सभी बड़े कंप्यूटर नेटवर्क में वायरस से कंप्यूटर को बचाने की प्रणाली होती है| भारतीय आईटी एक्ट 2008 के सेक्शन 43 (C) एवं 43 (e) के अंतर्गत वायरस फैलाने के कार्य के लिए सजा का प्रावधान है|
Identity theft (पहचान चुराना)
- किसी अन्य व्यक्ति की पहचान चुराकर कंप्यूटर नेटवर्क पर कार्य करना इस अपराध श्रेणी में आता है|
- कंप्यूटर नेटवर्क पर स्वयं की पहचान बचा कर स्वयं को दूसरे के नाम से प्रस्तुत करना, उसके नाम पर कोई घपला करना, बेवकूफ बनाना आईटी एक्ट के अंतर्गत अपराध है|
- इसके अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति का पासवर्ड का प्रयोग करना,
- डिजिटल सिग्नेचर की नकल करना भी इस अपराध की श्रेणी में आते हैं|
- किसी अन्य के नाम का प्रयोग कर अवांछित लाभ लेना धोखाधड़ी करना भी इस प्रकार के अपराध में आते हैं|
जिस व्यक्ति की पहचान चुराई गई है उस से अनावश्यक रुप से कानूनी उलझनों का सामना करना पड़ता है, बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है| उदाहरण के लिए आपके बैंक अकाउंट को कोई अन्य व्यक्ति आपकी पहचान चुराकर प्रयोग कर रहा है| आपकी पहचान चुरा कर दूसरी जगह धोखा धड़ी के लिए प्रयोग कर रहा है, इसलिए कंप्यूटर नेटवर्क पर अपने पासवर्ड व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक ना करें|आईटी एक्ट 2008 सेक्शन 66 सी के अंतर्गत सजा का प्रावधान है|
Trojan attack
Trojan उस प्रोग्राम को कहा जाता है जो दिखते तो उपयोगी हैं, लेकिन उनका कार्य कंप्यूटर कंप्यूटर नेटवर्क को नुकसान पहुंचाना होता है|
साइबर क्राइम के कुछ अन्य उदाहरण हैं –
- नेटवर्क का अनधिकृत तौर पर प्रयोग करना
- कंप्यूटर तथा नेटवर्क का प्रयोग कर व्यक्तिगत (Private) तथा गुप्त (Confidential) सूचना प्राप्त करना
- नेटवर्क तथा सूचना को नुकसान पहुंचाना
- बड़ी संख्या में ई – मेल भेजना (E – Mail Bombing)
- वायरस द्वारा कम्प्यूटर तथा डाटा को नुकसान पहुंचाना
- इंटरनेट का उपयोग कर आर्थिक अपराध (Financial Fraud) करना
- इंटरनेट पर गैरकानूनी तथा असामाजिक तथ्यों तथा चित्रों को प्रदर्शित करना
साइबर अपराध से बचने के उपाय (Ways To Prevent Cyber Crime)
- Login ID तथा पासवर्ड सुरक्षित रखना तथा समय – समय पर इसे परिवर्तित करते रहना
- Antivirus साफ्टवेयर का प्रयोग करना
- Fire wall का प्रयोग करना
- Data की Back – Up Copy रखना
- Proxy Server का प्रयोग करना
- Data को गुप्त कोड (Encrypted Form) में बदलकर भेजना व प्राप्त करना
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